संजय सराफ (संजू ) जांजगीर-चांपा। संयुक्त मंच के बैनर तले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका लगभग 11 दिन तक अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रही है। उनका कहना है छत्तीसगढ़ शासन हमारी मांग पूरी नही कर रही है। जिसके कारण छ.ग. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठ गए है। दावा है कि मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगा। इधर आंबा कार्यकर्ता- सहायिकाओं के हड़ताल में जाने से जिलेभर के केंद्रों में ताला लटक गया है। हड़ताल में बैठे कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर कांग्रेस राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका की छह सूत्रीय मांगे
इसमें कलेक्टर दर से वेतन, सुपरवाइजर के पद पर पदोन्नति, पेंशन और शासकीय सेवकों की तरह सुविधाएं अहम है। संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में उन्हें कलेक्टर दर से वेतन देने का दावा किया था, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के चार साल बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है। कार्यकर्ता- सहायिकाएं लगातार अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया है।
आखिर क्यों नही सुन रही सरकार
इससे पहले भी जिले के सभी आ.बा. कार्यकर्ता सहायिका अपने संघ के पदाधिकारियों के नेतृत्व में रायपुर जाकर अपनी मांगों के बारे में शासन के समक्ष बात रखी। बावजूद शासन के नुमाइंदे इनकी मांगों को अनदेखा कर देते है। हड़ताल में जाने से आंगनबाड़ी आने वाले बच्चो का भविष्य बिगड़ सकता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेकर जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में ताले लगा दिये। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका संघ के जिला अध्यक्ष सविता कश्यप ने बताया कि जब तक शासन द्वारा उनकी छह सूत्रीय मांगो को पूरा नहीं किया जाता तब तक सभी सहायिका और कार्यकर्ता अपने कार्यों पर नहीं लौटेंगे।
आंदोलन में भाग लेने रायपुर जाते समय टोल प्लाजा के पास पुलिस ने रोक लिया : सविता कश्यप
जिला अध्यक्ष सविता कश्यप ने बताया की बीते सप्ताह भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने धरना दिया था, इसके बाद सभी राजधानी में रैली के लिए निकल रहे थे, लेकिन कार्यकर्ताओं को टोला प्लाजा के सामने ही रोक दिया गया। इनकी गाड़ियों को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। इसके बाद कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं ने मौके पर ही जमकर हंगामा मचाया था, कुछ देर तक चक्काजाम जैसी स्थिति निर्मित हुई। इसके पहले भी कार्यकर्ताओं ने रायपुर में एक सप्ताह तक धरना दिया, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया था। पूरे सालभर कार्यकर्ता समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं।