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मुख्यमंत्री के प्रयासों से पुष्पित पल्लवित हो रही छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति: अमरजीत भगत

बिलासपुर। खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने आज ऐतिहासिक नगरी रतनपुर में 7 दिवसीय माघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेले का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि विस्मृत होती जा रही छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं कलाओं को पुनर्जीवित कर पुष्पित पल्लवित करने का बीड़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने उठाया है। छत्तीसगढ़िया कहलाने में अब हम सबको गर्व का अनुभव होता है। समारोह की अध्यक्षता जनपद अध्यक्ष मनोहर राज ने की।मुख्य अतिथि की आसंदी से मंत्री श्री भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, तीज-तिहार एवं परम्पराओं से हमारी मूल पहचान हैं। इन परम्पराओं को आगे बढ़ाना हम सबका सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारी संस्कृति को हमें भूलना नहीं है,बल्कि इनमें उत्साह पूर्ण भागीदारी निभाकर विभिन्न माध्यमों से इसे आगे ले जाना है। राज्य सरकार हमारी संस्कृति को जीवंत बनाने एवं गरिमा प्रदान करने में निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय कलाकारों की पहले उपेक्षा होती थी। हमारी सरकार ने उनको काफी महत्व दिया है। लगभग 12 करोड़ रूपये का काम इस साल दिया गया है। इसके पहले उन्हें साल भर में केवल 4-5 करोड़ रूपये के कार्यक्रम मिल पाते थे।

खाद्य मंत्री ने कहा कि धान के कटोरे के रूप में भी हमारी पहचान को निरंतर बनाये रखने में सफल हुए हैं। देश में सर्वाधिक कीमत पर धान खरीदी का काम छत्तीसगढ़ की सरकार कर रही है। किसानों के आमदनी बढ़ाने की बात देश में जहां पर भी आती है, तब छत्तीसगढ़ माॅडल पर जरूर विचार किया जाता है। अनेक राज्य छत्तीसगढ़ की माॅडल को बेहतर बताकर इसेे अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल धान खरीदी के बदले लगभग 22 हजार करोड़ रूपए का भुगतान किसानों के खातों में गया है, जो कि मेला-मड़ई उत्सव में खुशी के रूप में प्रदर्शित हो रही है। नगरपालिका अध्यक्ष घनश्याम रात्रे एवं जनपद अध्यक्ष मनोहर सिंह राज ने भी समारोह को सम्बोधित किया। इस अवसर पर एसडीएम हरिओम द्विवेदी, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष सुमन जायसवाल, नगरपालिका उपाध्यक्ष कन्हैया यादव सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि सहित ग्रामीण, किसान उपस्थित थे।

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बिलासपुर। खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने आज ऐतिहासिक नगरी रतनपुर में 7 दिवसीय माघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेले का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि विस्मृत होती जा रही छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं कलाओं को पुनर्जीवित कर पुष्पित पल्लवित करने का बीड़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने उठाया है। छत्तीसगढ़िया कहलाने में अब हम सबको गर्व का अनुभव होता है। समारोह की अध्यक्षता जनपद अध्यक्ष मनोहर राज ने की।मुख्य अतिथि की आसंदी से मंत्री श्री भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, तीज-तिहार एवं परम्पराओं से हमारी मूल पहचान हैं। इन परम्पराओं को आगे बढ़ाना हम सबका सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारी संस्कृति को हमें भूलना नहीं है,बल्कि इनमें उत्साह पूर्ण भागीदारी निभाकर विभिन्न माध्यमों से इसे आगे ले जाना है। राज्य सरकार हमारी संस्कृति को जीवंत बनाने एवं गरिमा प्रदान करने में निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय कलाकारों की पहले उपेक्षा होती थी। हमारी सरकार ने उनको काफी महत्व दिया है। लगभग 12 करोड़ रूपये का काम इस साल दिया गया है। इसके पहले उन्हें साल भर में केवल 4-5 करोड़ रूपये के कार्यक्रम मिल पाते थे। खाद्य मंत्री ने कहा कि धान के कटोरे के रूप में भी हमारी पहचान को निरंतर बनाये रखने में सफल हुए हैं। देश में सर्वाधिक कीमत पर धान खरीदी का काम छत्तीसगढ़ की सरकार कर रही है। किसानों के आमदनी बढ़ाने की बात देश में जहां पर भी आती है, तब छत्तीसगढ़ माॅडल पर जरूर विचार किया जाता है। अनेक राज्य छत्तीसगढ़ की माॅडल को बेहतर बताकर इसेे अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल धान खरीदी के बदले लगभग 22 हजार करोड़ रूपए का भुगतान किसानों के खातों में गया है, जो कि मेला-मड़ई उत्सव में खुशी के रूप में प्रदर्शित हो रही है। नगरपालिका अध्यक्ष घनश्याम रात्रे एवं जनपद अध्यक्ष मनोहर सिंह राज ने भी समारोह को सम्बोधित किया। इस अवसर पर एसडीएम हरिओम द्विवेदी, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष सुमन जायसवाल, नगरपालिका उपाध्यक्ष कन्हैया यादव सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि सहित ग्रामीण, किसान उपस्थित थे।
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