बिलासपुर। बिलासपुर में स्थित शासकीय जेपी वर्मा कॉलेज वर्ष 1944 से संचालित होता आ रहा है। महाविद्यालय के खेल मैदान को जो कि बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे पर है उसे कोर्ट के द्वारा एसबीआर ट्रस्ट को बेचने की अनुमति दी गई है। कॉलेज के करीब चार हजार छात्र-छात्राओं का एकमात्र खेल मैदान उनसे छीन लिया जाएगा। इन हजारों विद्यार्थियों को एक बंद बिल्डिंग में अध्ययन करना होगा जो स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि किसी आकस्मिक घटना के लिए भी खतरनाक होगा। यह एक स्वाभाविक तथ्य है कि बिना खेल मैदान के किसी भी शिक्षण संस्थान की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा व्यवस्था में अंतर्गत खेलकूद की गतिविधि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। यह देश और दुनिया में तमाम शिक्षा प्रणालियों के द्वारा मान्यता प्राप्त सिद्धांत है। कॉलेजों की मान्यता के समय भी यह देखा जाता है कि उनके पास खेल मैदान है कि नहीं। नैक की टीम जब कॉलेजों की ग्रेडिंग के लिए आती है तब वह भी खेल मैदान और खेल सुविधाओं की जांच करती है। इस प्रकार खेल का मैदान एक शिक्षण संस्थान के लिए अति आवश्यक है। देश की महान विभूति विवेकानंद जी ने एक बार कहा था कि देश के युवकों को गीता पहले से अधिक फुटबॉल खेलने की जरूरत है। देश का कार्य करने के लिए मजबूत शरीर की आवश्यकता है। यह किस प्रकार संभव है कि कॉलेज के हजारों छात्रों से उनका खेल मैदान छीन लिया जाएगा और न्याय व्यवस्था, शासन और शिक्षा व्यवस्था इसकी अनुमति दे देगी। यह भी पता चला है कि यह एसबीआर ट्रस्ट शिक्षा की उन्नति के लिए ही इस मैदान को बेच रहा है और इसे बेचकर वह बिलासपुर शहर के बाहर 10 एकड़ जमीन खरीदेगा जिसमें शिक्षा की व्यवस्था एवं समाज सेवा मूलक कार्यों की व्यवस्था होगी। यह किस तरह से संभव है कि एक कॉलेज के हजारों विद्यार्थियों का खेल मैदान छीन कर फिर उसी में शिक्षा की नई व्यवस्था को जाएगी। हम विद्यार्थीगण अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। हम मानते हैं कि यह हमारे साथ अन्याय है। हम अपने कॉलेज के खेल मैदान को बचाने के लिए कृत संकल्पित हैं। हम चाहते हैं कि हमारे महाविद्यालय का खेल मैदान महाविद्यालय के पास ही रहे एवं हम ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियां इन कॉलेज में पढ़ कर और इस मैदान में खेल कर अपना भविष्य गढ़े। महाविद्यालय के विद्यार्थीगण की मांग हैं कि हमारे महाविद्यालय के एकमात्र खेल मैदान को विद्यार्थियों और कॉलेज के लिए सुरक्षित रखे ऐसी व्यवस्था करें।