तीर कमान (वासु सोनी)। अब ये क्या सुन लिया। कहने को तो शिक्षण संस्थान है लेकिन लोगों से कहते फिरते हैं कि छपने छापने वाले क्या कर लेंगे। वो तो अपना रिफरेंस भी छपने छापने वाले से लगाते हैं। सुना है उनके घर में कार्यालय जो बना लिया है। नगर में अपने इन्द्रधनुषी छटा बिखेर रहे हैं वो भी बिना उचित कागज के….. छपने छापने वाले अगर कोई पहुंच जाए तो मैनेज करने छपने छापने वाले का ही सहारा लेेकर अपने पहुंच का रूआब तक दिखाने लगते हैं। इन्द्रधनुष की छटा नगर में बिखेरने के चक्कर में कई दस्तावेज तक नहीं बनवा पाए है और उनको लगता है कि छपने छापने वाले क्या कर लेंगे, साथ ही यह भी कहते फिरते हैं कि वो कौन होते हैं जो हमसे हमारा कागज पूछेंगे? जिले के हाई लेवल के अधिकारी से जाकर पूछे, हम क्यों बताएंगे? अब शिक्षण संस्थान में इन्द्रधनुष का सात रंग है तो दिखाएंगे ही….लेकिन छपने छापने वालों को बताना तो पड़ेगा, अब उनके कायदा कानून की बातें नगर के कुछ छपने छापने वाले को जंची नहीं, अब तो नियम से ही उनके इन्द्रधनुष का सात रंग अलग अलग निकालने की योजना पर बल दिया जा रहा है। अब इन्द्रधनुष का रंग रखने वाले शिक्षण संस्थान के जिम्मेदार जिले, राज्य, देश या फिर मंगल ग्रह के छपने छापने वाले से ही रिफरेंस लगा लें? अब तो इन्द्रधनुष शिक्षण संस्थान के सात रंगों के साथ ही होली खेली जाएगी?