तीर कमान (वासु सोनी)। अब ये नया क्या कारनामा है! वर्दी का ऐसा रुआब की कप्तान फीके नजर आ रहे। भाई वर्दी आखिर किसके लिए पहने हो और वर्दी की ताकत किसे दिखाओगे? आम जनता को दिक्कत होती है तब वर्दी वालों के पास पहुंचते हैं, लेकिन कुछ थाना इंचार्ज टाइप लोग वर्दी का रुआब ऐसे दिखाते है जैसे आम जनता उनके पास नहीं आएगी तो सरकार उन्हें फोकट में खिलाएगी? साहब खाकी जब पहन ही लिए है तो इज्जत भी आपको ही बनानी है। लेकिन चांपा नगर का मामला ही अलग है भिड़े रहते है जनता से। कोई थाने पहुंच तो साहब तो साहब क्या है, क्या चीज के लिए आए है, कितनी दिक्कत है, छोटा मोटा मामला ही तो है, बाद में आ जाना, करवा देंगे, जैसे सवाल दागकर अपना और अपनी वर्दी का रुआब दिखाने पीछे नहीं? अब सप्ताह भर पहले की बात है कुछ महिलाएं भी पहुंच गई और घेर लिया थाना, उसमें भी साहब तो साहब, फिर वही सवाल, फिर क्या था महिलाओं ने भी अपनी ताकत दिखा दी, ले दे कर उच्च अधिकारियों के कानों तक बात पहुंच गई, फिर क्या था दबी जुबान से लीडर से लगे मांगने माफी? अदना सा थाना, अदना सा इंचार्ज, कर्म ऐसे की उच्च को झुकना पड़ा…ये तो सप्ताह भर पहले की बात, फिर वही सवाल वाला क्रम एक दिन रात 12 बजे शुरू हुआ, इस बार छपने छापने वालों से साहब भीड़ गए, लगे कहने झापड़ ही तो मारा है… मगर साहब जब बड़ी घटना हो जाती, तब वर्दी की ताकत दिखाते क्या…अब साहब तो साहब ठहरे, फिर उच्च को मांगनी पड़ी…समझ तो गए होंगे साहब तो साहब हैं…