बिलासपुर। कृषि उत्पादन आयुक्त कमलप्रीत सिंह ने कहा है कि हर गोठान में गोबर की खरीदी होनी चाहिए। किसानों एवं पशुपालकों की अतिरिक्त आमदनी का यह बढ़िया जरिया साबित हुआ है। उन्होंने अपूर्ण गोठानों को बहुत जल्द पूर्ण कर अगले एक-दो महीने में गोबर खरीदी चालू करने को कहा है। श्री सिंह ने बताया कि अगले खरीफ वर्ष से राज्य में मूंग, उड़द एवं अरहर की भी समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार द्वारा खरीदी की जायेगी। श्री सिंह आज यहा जिला कार्यालय के मंथन सभाकक्ष में रबी वर्ष 2021-22 की प्रगति की समीक्षा एवं खरीफ वर्ष 2022 के कार्यक्रम निर्धारण के संबंध में बिलासपुर एवं सरगुजा संभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर इस आशय के निर्देश दिये हैं।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने दिन भर आज यहां कृषि एवं इससे जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श कर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना का फायदा धान के अलावा अन्य फसलों पर भी दिया जायेगा। इसके लिए उन्हें सरकारी खरीदी केन्द्रांे पर उपज का बेचा जाना जरूरी नहीं हैं। वह निजी मार्केट में भी अपनी उपज बेचकर न्याय योजना का लाभ उठा सकता है। धान के अलावा अन्य फसलों पर किसान ध्यान दें, इसके लिए सहकारी बैंक से दिये जाने वाले ऋण की सीमा बढ़ा दिया गया है। उन्होंने अगले सीजन के लिए अभी से किसानों को तैयार कर उनके अनुरूप ऋण वितरण करने के निर्देश दिये हैं।
डॉ. सिंह ने सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत गोठानों को और मजबूत करने को कहा है। गोठान में कृषि विभाग की योजना के अंतर्गत फार्म मशीनरी बैंक भी स्थापित किया जा सकता है। गौठान समिति अपने इस्तेमाल के साथ किसानों को रियायती दर पर किराया देकर भी आमदनी अर्जित कर सकती है। उन्होंने विभागीय सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत लक्ष्यों की आपूर्ति नहीं किये जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस हितग्राही मूलक योजना के अंतर्गत स्प्रिंकलर, ड्रिप, पम्प आदि अनुदान पर उपलब्ध कराकर किसानों को अन्य लाभकारी फसल उगाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। उन्होने रासायनिक खादों के अग्रिम उठाव पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि वितरित किये गये हर खाद की प्रविष्टि तत्काल पॉश मशीन में किया जाना चाहिए। इसमें प्रविष्टि नहीं किये जाने पर स्टॉक भरा हुआ माना जाता है और जरूरत पड़ने पर आवंटन नहीं मिलता है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि गोठानों में वर्तमान में संग्रहित वर्मी कम्पोस्ट का उठाव इस महीने तक हो जाने चाहिये। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट की विक्री में अब दिक्कत नहीं आयेगी। किसानों को प्रति एकड़ एक बोरी के हिसाब से उपलब्ध कराया जायेगा। जैविक खेती की ओर बढ़ने का यह अच्छा प्रयास होगा। उन्होंने वन विभाग द्वारा संचालित गोठान के सक्रिय नहीं होने पर असंतोष प्रकट किया। श्री सिंह ने बैठक में पशुधन विकास विभाग, उद्यानिकी विभाग, मछली पालन विभाग की योजनाओं की भी समीक्षा की। उन्होंने इन गतिविधियों से जुड़े किसानों को केसीसी जारी करने में बैंकों द्वारा लगाई जा रही अड़चनों के निराकरण के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि मछली पालन आमदनी बढ़ाने और रोजगार का अच्छा माध्यम है। इसमें मार्केटिंग की दिक्कत नहीं होती। गांव में निस्तारी के लिए एक तालाब को छोड़कर तमाम तालाबों को मछली पालन के लिए समूहों को आबंटित किया जाना चाहिए। उन्होंने उद्यान विभाग की समीक्षा में कहा कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट को प्रोत्साहित करते हुए उत्पादों की बिक्री के लिए ब्राडिंग एवं उचित बाजार की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए।