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दो तरह के साधक पहुंचते हैं माता के दरबार : चिन्मयानंद बापू, नवरात्रि के शुभ अवसर पर श्री चिन्मयानन्द बापू पहुंचे सिद्ध श्री मां महामाया देवी मंदिर 

बिलासपुर। नवरात्रि के शुभ अवसर पर सुप्रसिद्ध भागवत वक्ता चिन्मयानन्द बापू जी महाराज रतनपुर स्थित मां महामाया माता के दर्शन करने पहुंचे। मां महामाया देवी मंदिर पहुंच स्वामी चिन्मयानन्द बापू ने विश्व शांति की कामना की।

आपको बता दें कि बिलासपुर के मुंगेली नाका क्षेत्र के एक निजी परिवार में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराने श्री चिन्मयानन्द बापू जी पहुंचे है। श्रीमद् भागवत कथा के साथ समय निकाल कर नवरात्रि के शुभ अवसर पर रतनपुर स्थित सिद्धपीठ मां महामाया देवी के दर्शन करने पहुंचे।

सिद्ध पीठ मां महामाया देवी दर्शन करने पहुंचे श्री चिन्मयानन्द ने कहा कि नवरात्रि के पर्व पर पावन सिद्ध स्थली पर दर्शन करने जरूर पहुंचता हु। जब भी मुझे बिलासपुर या आसपास के क्षेत्र में आने का अवसर प्राप्त होता है। माता के दर्शन करने जरूर आता हूं। यहां भक्तों की मनाकोमना जरूर पूरी होती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि माता महामाया के दरबार में तपस्वी, साधक भी पहुंचते हैं। माता महामाया के नाम के अनुरूप यहां दो तरह के साधक आते है पहला जिनको माया से परे जाना है और दूसरा जिनको सांसारिक माया में कुछ सुविधा प्राप्त करनी हो जो अर्थात्री होते हैं वे भी माता के दर्शन करने अवश्य आते हैं।

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बिलासपुर। नवरात्रि के शुभ अवसर पर सुप्रसिद्ध भागवत वक्ता चिन्मयानन्द बापू जी महाराज रतनपुर स्थित मां महामाया माता के दर्शन करने पहुंचे। मां महामाया देवी मंदिर पहुंच स्वामी चिन्मयानन्द बापू ने विश्व शांति की कामना की। आपको बता दें कि बिलासपुर के मुंगेली नाका क्षेत्र के एक निजी परिवार में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराने श्री चिन्मयानन्द बापू जी पहुंचे है। श्रीमद् भागवत कथा के साथ समय निकाल कर नवरात्रि के शुभ अवसर पर रतनपुर स्थित सिद्धपीठ मां महामाया देवी के दर्शन करने पहुंचे। सिद्ध पीठ मां महामाया देवी दर्शन करने पहुंचे श्री चिन्मयानन्द ने कहा कि नवरात्रि के पर्व पर पावन सिद्ध स्थली पर दर्शन करने जरूर पहुंचता हु। जब भी मुझे बिलासपुर या आसपास के क्षेत्र में आने का अवसर प्राप्त होता है। माता के दर्शन करने जरूर आता हूं। यहां भक्तों की मनाकोमना जरूर पूरी होती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि माता महामाया के दरबार में तपस्वी, साधक भी पहुंचते हैं। माता महामाया के नाम के अनुरूप यहां दो तरह के साधक आते है पहला जिनको माया से परे जाना है और दूसरा जिनको सांसारिक माया में कुछ सुविधा प्राप्त करनी हो जो अर्थात्री होते हैं वे भी माता के दर्शन करने अवश्य आते हैं।
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