भारत (India) में बांग्लादेशी घुसपैठिए किस तरह अरनी जड़े जमा चुके हैं। इसका इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) से लेकर दिल्ली और फिर दिल्ली से मुंबई तक बांग्लादेशियों को भारतीय बनाने का एक सिंडिकेट काम कर रहा है। देश के तीन महानगरों दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से अबतक 80 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठिए गिरफ्तार हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारत में अवैध घुसपैठ के आरोप में बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले से बांग्लादेशी नागरिक नूरुल हक को गिरफ्तार किया है। बांग्लादेश का रहने वाला नूरुल हक कुछ साल पहले भारत आया और फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर न सिर्फ भारत का नागरिक बन गया। बल्कि उसे अपना पूरा बायोडाटा ही बदल लिया। बांग्लादेशी नागरिक नूरुल हक फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार अपना हिंदू नाम नारायण अधिकारी रख लिया। साथ ही मुस्लिम से हिंदू बन बैठा।
पुलिस का दावा है कि बांग्लादेश का रहने वाला नूरुल हक फर्जी दस्तावेजों की मदद से उसके लिए वोटर कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाए। बांग्लादेश का नूरुल हक भारत आकर अपना नाम बदलकर कई साल से उत्तर 24 परगना जिले के दत्तपुकुर के काजीपारा में रहने लगा। बांग्लादेश में अशांति के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है।
मकान मालिक भी निकला बांग्लादेशी
इस बीच, जिला पुलिस को गुप्त सूत्रों से नारायण अधिकारी नामक व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली। पूछताछ के दौरान पता चला कि नारायण उत्तर 24 परगना में मछली पालन का काम करता है। वह पिछले कुछ साल से किराए के मकान में रहता है। मकान मालिक रफीकुल इस्लाम और नारायण अधिकारी पर राज्य की एजेंसियां नजर बनाए हुए थीं। इस दौरान पता चला कि न सिर्फ नारायण बल्कि उसका मकान मालिक रफीकुल भी बांग्लादेशी नागरिक है और कुछ साल पहले ही भारत में घुसपैठ कर आया था। भारत आने के बाद उसने फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बनवाकर जमीन खरीदी और अपना मकान बनवाया। स्थानीय लोग रफीकुल को इलाके के एक निजी डॉक्टर के तौर पर जानते हैं। संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों के बारे में पुष्टि होने पर पुलिस ने रविवार को रफीकुल के घर पर छापेमारी की।
पुलिस सिंडिकेट का पला लगा रही
पुलिस दोनों घुसपैठियों से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उनके लिए फर्जी दस्तावेज कैसे बनाए गए और किसने उनकी मदद की। पता चला है कि नूरुल हक साढ़े तीन साल से अधिक समय से रफीकुल इस्लाम के घर में रह रहा था। रविवार को दोनों आरोपियों को बारासात कोर्ट में पेश किया गया। दोनों को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।