छत्तीसगढअकलतरामातृशक्ति अब शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन से लड़ने को तैयार

मातृशक्ति अब शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन से लड़ने को तैयार

जांजगीर चांपा,

मड़वा ताप विद्युत कामगार एवं भू-विस्थापित श्रमिक संघ एटक जिला- जांजगीर चांपा के द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र में अधिग्रहित भूमि के भू-विस्थापितों को नौकरी दो की मांग को लेकर 14 अक्टूबर से मड़वा प्लांट प्रवेश द्वार चौक, दर्राभांठा चांपा में चरणबद्ध अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहा है। जब ताप विद्युत संयंत्र परियोजना आयी तब 2007 में ग्राम मड़वा- तेन्दुभांठा के किसानों से उनकी सिंचित भूमि को बहुत ही कम 364000/- रुपये प्रति एकड़ की दर पर खरीदी की गई थी। पुनर्वास नीति 2007 के लाभ के तहत भू-विस्थापित खातेदार एवं सह खातेदार को नौकरी देने की एवं जब तक नौकरी नहीं दिया जाता है उस स्थिति में पुनर्वास नीति के तहत जीवन निर्वहन भत्ता मनरेगा के बढ़ते क्रम में देने की सहमति बनी थी।

परन्तु अभी तक भू-विस्थापितों को ना ही नौकरी दी गई है और ना ही जीने के लिए जीवन निर्वहन भत्ता दिया जा रहा है। संयंत्र के गोद नामित गाँवों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं नौकरी के लिए प्रशिक्षण की सुविधा नि:शुल्क देने की सहमति भी तीनों पक्षकारों के बीच सहमति बनी थी। भू-विस्थापितों के द्वारा किया जा रहा अनिश्चित कालीन हड़ताल अपने हक अधिकार की लड़ाई है जो लड़ रहे हैं। हड़ताल का 41 दिन हो रहा है पर शासन, प्रशासन एवं छग. राज्य विद्युत मंडल उनकी उचित मांग को संज्ञान नही ले रहे हैं। जिससे भू-विस्थापितों में आक्रोश व्याप्त हो रही है।

भविष्य में आंदोलन और उग्र होने वाली है। भू-विस्थापितों के द्वारा चरणबद्ध अनिश्चित कालीन हड़ताल का स्वरूप अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल में बदल गया हैं। भू-विस्थापित पुरुष साथियों के द्वारा 24-24 घंटे का क्रमिक भूख हड़ताल पंद्रह दिन हो चुका है, परन्तु शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन के द्वारा भूविस्थापितों की मांग पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया गया है इसलिए अब छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल, छत्तीसगढ़ शासन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मातृशक्ति (महिलाओं) के द्वारा 24-24 घंटे क्रमिक भूख हड़ताल में बैठ गए है अब महिलाओं ने ठान लिया है कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती है भूख हड़ताल, अपना आंदोलन किसी भी स्थिति में खत्म नही करेंगे। महिला साथियों के द्वारा की जा रही भूख हड़ताल में किसी भी भू-विस्थापितों व उनके परिवारों में कोई अप्रिय घटना घटती है उसकी सारी जिम्मेदारी शासन, प्रशासन व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत प्रबंधन की होगी। छत्तीसगढ़ शासन, जिला प्रशासन, व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल भू-विस्थापितों की पीड़ा / मांगों को अनदेखी करतीं हैं तो संगठन और भू-विस्थापितों के द्वारा आंदोलन को उग्र करने का निर्णय लिया गया है।

संगठन पदाधिकारी सुधीर यादव, रघुनंदन सोनी, श्याम कुमार बरेठ , शिव बरेठ, सरजू बरेठ, विवेक पटेल, नागेश्वर, मनक, योगेश साहू, रमशिल्ला, राजकुमारी, संतोषी, बुधवार बाई, अर्चना, प्रमिला साहू, मथुरा बाई, तेरस, रजनी, ममता यादव, इतवार बाई, सुलेखा यादव, हीरा लाल गोंड, सूरज गोंड, रामू गोंड, शिवा गोंड, अरूण गोंड, संजयसिंह, रथ राम निर्मलकर, लोचन साहू, राजेश शुक्ला, रामकुमार यादव, आदि भू-विस्थापितों व ग्रामीण साथियों के द्वारा धरना में शामिल होकर समर्थन दिया है।

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जांजगीर चांपा, मड़वा ताप विद्युत कामगार एवं भू-विस्थापित श्रमिक संघ एटक जिला- जांजगीर चांपा के द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र में अधिग्रहित भूमि के भू-विस्थापितों को नौकरी दो की मांग को लेकर 14 अक्टूबर से मड़वा प्लांट प्रवेश द्वार चौक, दर्राभांठा चांपा में चरणबद्ध अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहा है। जब ताप विद्युत संयंत्र परियोजना आयी तब 2007 में ग्राम मड़वा- तेन्दुभांठा के किसानों से उनकी सिंचित भूमि को बहुत ही कम 364000/- रुपये प्रति एकड़ की दर पर खरीदी की गई थी। पुनर्वास नीति 2007 के लाभ के तहत भू-विस्थापित खातेदार एवं सह खातेदार को नौकरी देने की एवं जब तक नौकरी नहीं दिया जाता है उस स्थिति में पुनर्वास नीति के तहत जीवन निर्वहन भत्ता मनरेगा के बढ़ते क्रम में देने की सहमति बनी थी। परन्तु अभी तक भू-विस्थापितों को ना ही नौकरी दी गई है और ना ही जीने के लिए जीवन निर्वहन भत्ता दिया जा रहा है। संयंत्र के गोद नामित गाँवों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं नौकरी के लिए प्रशिक्षण की सुविधा नि:शुल्क देने की सहमति भी तीनों पक्षकारों के बीच सहमति बनी थी। भू-विस्थापितों के द्वारा किया जा रहा अनिश्चित कालीन हड़ताल अपने हक अधिकार की लड़ाई है जो लड़ रहे हैं। हड़ताल का 41 दिन हो रहा है पर शासन, प्रशासन एवं छग. राज्य विद्युत मंडल उनकी उचित मांग को संज्ञान नही ले रहे हैं। जिससे भू-विस्थापितों में आक्रोश व्याप्त हो रही है। भविष्य में आंदोलन और उग्र होने वाली है। भू-विस्थापितों के द्वारा चरणबद्ध अनिश्चित कालीन हड़ताल का स्वरूप अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल में बदल गया हैं। भू-विस्थापित पुरुष साथियों के द्वारा 24-24 घंटे का क्रमिक भूख हड़ताल पंद्रह दिन हो चुका है, परन्तु शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन के द्वारा भूविस्थापितों की मांग पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया गया है इसलिए अब छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल, छत्तीसगढ़ शासन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मातृशक्ति (महिलाओं) के द्वारा 24-24 घंटे क्रमिक भूख हड़ताल में बैठ गए है अब महिलाओं ने ठान लिया है कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती है भूख हड़ताल, अपना आंदोलन किसी भी स्थिति में खत्म नही करेंगे। महिला साथियों के द्वारा की जा रही भूख हड़ताल में किसी भी भू-विस्थापितों व उनके परिवारों में कोई अप्रिय घटना घटती है उसकी सारी जिम्मेदारी शासन, प्रशासन व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत प्रबंधन की होगी। छत्तीसगढ़ शासन, जिला प्रशासन, व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल भू-विस्थापितों की पीड़ा / मांगों को अनदेखी करतीं हैं तो संगठन और भू-विस्थापितों के द्वारा आंदोलन को उग्र करने का निर्णय लिया गया है। संगठन पदाधिकारी सुधीर यादव, रघुनंदन सोनी, श्याम कुमार बरेठ , शिव बरेठ, सरजू बरेठ, विवेक पटेल, नागेश्वर, मनक, योगेश साहू, रमशिल्ला, राजकुमारी, संतोषी, बुधवार बाई, अर्चना, प्रमिला साहू, मथुरा बाई, तेरस, रजनी, ममता यादव, इतवार बाई, सुलेखा यादव, हीरा लाल गोंड, सूरज गोंड, रामू गोंड, शिवा गोंड, अरूण गोंड, संजयसिंह, रथ राम निर्मलकर, लोचन साहू, राजेश शुक्ला, रामकुमार यादव, आदि भू-विस्थापितों व ग्रामीण साथियों के द्वारा धरना में शामिल होकर समर्थन दिया है।
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